इस तालाब में साक्षात दिखाई देते हैं भगवान विष्णु,

By: Dilip Kumar
5/13/2023 1:41:41 AM

भारत और नेपाल के बीच नाता युगों पुराना रहा है। नेपाल के नागरिक भारत के मंदिरों में दर्शन के लिए आते रहे हैं और भारतीय नागरिक भी यहां के मंदिरों में दर्शन के लिए जाते रहे हैं। नेपाल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा है भी है जहां आम नागरिक तो जा सकते हैं लेकिन नेपाल राजपरिवार के लोग दर्शन के लिए नहीं जा सकतेज् हम नेपाल के जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह काठमांडू से 8 किलोमीटर दूर शिवपुरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। यह विष्णु भगवान का मंदिर है। मंदिर का नाम बुदानिकंथा है। मंदिर को लेकर ऐसी कथा है कि यह मंदिर राज परिवार के लोगों के शापित है। शाप के डर की वजह से राज परिवार के लोग इस मंदिर में नहीं जाते। बताया जाता है कि राज परिवार को एक शाप मिला था। इसके मुताबिक अगर राज परिवार का कोई भी सदस्य मंदिर में स्थापित मूर्ति के दर्शन कर लेगा तो उसकी मौत हो जाएगी। इस शाप के चलते ही राज परिवार के लोग मंदिर में स्थापति मूर्ति की पूजा नहीं करते।

बुदानिकंथा में श्रीहररि एक प्राकृतिक पानी के सोते के ऊपर 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में विराजमान हैं। कथा मिलती है कि एक किसान द्वारा काम करते समय यह मूर्ति प्राप्त हुई थी। इस मूर्ति की लंबाई 5 मीटर है। जिस तालाब में मूर्ति स्थापित है उसकी लंबाई 13 मीटर है। मूर्ति में विष्णु जी के पैर एक-दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। वहीं नागों के 11 सिर भगवान विष्णु के छत्र बनकर स्थित हैं।

विष्णु के साथ शिव भी हैं विराजमान

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय विष निकला था तो सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए शिवाजी ने इसे अपने कंठ में ले लिया था। इससे उनका गला नीला पड़ गया था। इसी जहर से जब शिवजी के गले में जलन बढऩे लगते तब उन्होंने उत्तर की सीमा में प्रवेश किया। उसी दिशा में झील बनाने के लिए त्रिशूल से एक पहाड़ पर वार किया इससे झील बनी। मान्यता है कि इसी झील के पानी से उन्होंने प्यास बुझाई। कलियुग में नेपाल की झील को गोसाईकुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि बुदानीकंथा मंदिर का पानी इसी गोसाईकुंड से उत्पन्न हुआ था। मान्यता है कि मंदिर में अगस्त महीने में वार्षिक शिव उत्सव के दौरान इस झील के नीचे शिवजी की भी छवि देखने को मिलती है।


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