डॉक्टर अंबेडकर प्रमुख लेखन कार्य किए थे जिसमें उत्कृष्ट योगदान रहा था जैसे बहिष्कृत हितकारिणी सभा (जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना सामाजिक और आर्थिक सुधारो को बढ़ावा देना था) बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत ,मूकनायक ,जनता जैसी पत्रिकाएं साप्ताहिक पत्रिकाएं निकली थीं। 1925 में मुंबई प्रेसिडेंसी समिति में सभी यूरोपीय सदस्य वाले साइमन कमीशन में काम करने हेतु आपको नियुक्त किया गया था जिसका भारत में भारतीय विरोध कर रहे थे क्योंकि उसमें कोई भारतीय नहीं था। 25 दिसंबर 1927 को डॉक्टर अंबेडकर ने ऐसे समस्त ग्रंथों को जलाया जो अमानवीय, अव्यावहारिक और गैर बराबरी को बढ़ावा देने वाले थे । ये छुआछूत को भी बढ़ावा देने वाले थे। जातीय भेदभाव और जातिवाद जिनमें चरम पर था।
डॉ आंबेडकर ने अनेक विषयों पर शोध किया जिसमें प्रमुख शोध का विषय "द प्रॉब्लम ऑफ द रूप: इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूश" आपकी थीसिस पर आधारित आरबीआई का 1935 में गठन हुआ था। डॉक्टर अंबेडकर राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत हमेशा करते थे। आपने स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखने का अभूतपूर्व विश्व विख्यात काम किया। आपका मानना था कि , "राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं जब तक कि सामाजिक लोकतंत्र स्थापित नहीं होता है।"
डॉ आंबेडकर विश्व विख्यात विद्वान,अर्थशास्त्री ,राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक ,दार्शनिक , शिक्षाविद , में उत्क्रष्ट लेखक दलित उद्धारक , मानवतावादी , वैज्ञानिक ,समाजशास्त्री, इतिहासविद , भारतीय संविधान शिल्पी, भारतीय गणराज्य के जनक थे । डॉ आंबेडकर किसानों , श्रमिकों , मजदूरों अल्पसंख्यकों, महिलाओं और दीन-दुखियों के जननायक थे। आपने इनके मौलिक अधिकारों को देने के लिए हमेशा समर्थक रहे थे । डॉ अंबेडकर ने महापरिनिर्वाण प्राप्त करने के बाद जो सम्मान प्राप्त किये उनमें बौद्धिसत्व 1956 में ,भारत रत्न 1990 में, पहले कोलंबियन अहेड आफ देयर टाइम 2004, द ग्रेटेस्ट इंडियन 2012 सम्मान प्राप्त किया । दलितों के महीसा, भारतीयों के भाग्य विधाता और वास्तव में मानवता की आवाज थे।
डॉ आंबेडकर स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हुए ब्रिटिश भारत की सरकार की कोशिश नाना प्रकार की कमेटियों में शामिल होते थे। और भारतीय लोगों(महिलाओं , गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, किसानों और बहिष्कृत समाजों के लोगों के अधिकारों की वहां पर बात रखी थी। भारत निर्माण और स्वस्थ लोकतंत्र को खड़ा करने में आपकी मुख्य भूमिका रही। तर्कसंगत विधि संगत बातों पर हमेशा जोर दिया। आप हिंदू समाज और धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,अंधविश्वासों और अंध आस्थाओं और अस्पृश्यताओं से तंग आकर 14 अक्टूबर 1956 को आपने नागपुर में 5 लाख से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली । यह एक युगांतरकारी,क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी कदम था। सांस्कृतिक बदलाव हेतु उचित एवं ठोस कदम था। इससे बहिष्कृत भारतीय समाज और जनता की दिशा और दशा तय मानी गई। समाज में स्वतंत्रता प्राप्त करने से जो बदलाव आना चाहिए था वह नहीं आया मगर डॉ अंबेडकर द्वारा उठाए गए कदमों से ठोस कार्यों से जो बदलाव देखने को मिला वह स्वयं में अविस्मरणीय रहा है।
डॉक्टर अंबेडकर ने 1945 में पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की स्थापना करके शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम बढ़ाया था। आपके द्वारा कुछ खास रचनात्मक कार्य (कृतियां) भी किया गया जिसमें "बौद्ध धर्म का सार", "बुद्ध और उनका धर्म" जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं ।आप राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की हमेशा वकालत किया करते थे। डॉ अंबेडकर का प्रभाव भारत में इसी बात से देखा जा सकता है कि आज उनके नाम पर विभिन्न राज्यों में 12 विश्वविद्यालय हैं,आपकी विश्व भर में सर्वाधिक मूर्तियां हैं, आप भारत के महानतम व्यक्ति 2012 में चुने गए। आपके नाम पर डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय विमान क्षेत्र, डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर में है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अमर्त्य सेन ने कहा कि 'डॉक्टर अंबेडकर अर्थशास्त्र विषय में मेरे पिता है। आप विश्व के जाने-माने महानायक थे। आज तक उन्हें जो भी सम्मान मिला है वह उससे कहीं ज्यादा अधिकारी हैं।' ओशो अर्थात रजनीश कहते हैं, 'वह एक विश्व प्रसिद्ध अधिकरण थे।' अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का मानना है मानव अधिकार चैंपियन और भारत के संविधान के मुख्य लेखक हैं ।
रामचंद्र गुहा, "गरीबों का मसीहा कहते हैं।" वास्तव में डॉक्टर अंबेडकर मानवता की आवाज थे जो स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखकर भारत के नवनिर्माण में चार चांद लगाए थे। आधुनिक भारत के निर्माता डॉक्टर अंबेडकर का व्यक्तित्व और कृतित्व न केवल दलित गरीब पीड़ित किसान, महिला, पीड़ित समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। वरन् संपूर्ण वैश्विक मानव जाति के लिए डॉक्टर अंबेडकर का जीवन प्रेरणादाई है। आपके द्वारा जीवन में किए कार्य भारतीय मानव समाज के सर्वांगीण विकास में कारगर सिद्ध हुए हैं।
6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में आपका महापरिनिर्वाण आपके आवास पर हुआ था किंतु आपका अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार मुंबई स्थित चैत्य भूमि में किया गया था। जो आज समस्त अम्बेडकरवादियों के लिए प्रेरित करने वाला स्थान बन गया है। आप आज हमारे बीच नहीं हैं पर आपकी विचारधारा आज भी जिंदा है। आपको दुनिया, "द सिम्बल आफ नालेज" कहती है।
लेखक सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़
">
सत्य प्रकाश का काॅलम : मानवता की आवाज राष्ट्र निर्माता डॉक्टर अंबेडकर
डॉक्टर अंबेडकर प्रमुख लेखन कार्य किए थे जिसमें उत्कृष्ट योगदान रहा था जैसे बहिष्कृत हितकारिणी सभा (जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना सामाजिक और आर्थिक सुधारो को बढ़ावा देना था) बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत ,मूकनायक ,जनता जैसी पत्रिकाएं साप्ताहिक पत्रिकाएं निकली थीं। 1925 में मुंबई प्रेसिडेंसी समिति में सभी यूरोपीय सदस्य वाले साइमन कमीशन में काम करने हेतु आपको नियुक्त किया गया था जिसका भारत में भारतीय विरोध कर रहे थे क्योंकि उसमें कोई भारतीय नहीं था। 25 दिसंबर 1927 को डॉक्टर अंबेडकर ने ऐसे समस्त ग्रंथों को जलाया जो अमानवीय, अव्यावहारिक और गैर बराबरी को बढ़ावा देने वाले थे । ये छुआछूत को भी बढ़ावा देने वाले थे। जातीय भेदभाव और जातिवाद जिनमें चरम पर था।
डॉ आंबेडकर ने अनेक विषयों पर शोध किया जिसमें प्रमुख शोध का विषय "द प्रॉब्लम ऑफ द रूप: इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूश" आपकी थीसिस पर आधारित आरबीआई का 1935 में गठन हुआ था। डॉक्टर अंबेडकर राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत हमेशा करते थे। आपने स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखने का अभूतपूर्व विश्व विख्यात काम किया। आपका मानना था कि , "राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं जब तक कि सामाजिक लोकतंत्र स्थापित नहीं होता है।"
डॉ आंबेडकर विश्व विख्यात विद्वान,अर्थशास्त्री ,राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक ,दार्शनिक , शिक्षाविद , में उत्क्रष्ट लेखक दलित उद्धारक , मानवतावादी , वैज्ञानिक ,समाजशास्त्री, इतिहासविद , भारतीय संविधान शिल्पी, भारतीय गणराज्य के जनक थे । डॉ आंबेडकर किसानों , श्रमिकों , मजदूरों अल्पसंख्यकों, महिलाओं और दीन-दुखियों के जननायक थे। आपने इनके मौलिक अधिकारों को देने के लिए हमेशा समर्थक रहे थे । डॉ अंबेडकर ने महापरिनिर्वाण प्राप्त करने के बाद जो सम्मान प्राप्त किये उनमें बौद्धिसत्व 1956 में ,भारत रत्न 1990 में, पहले कोलंबियन अहेड आफ देयर टाइम 2004, द ग्रेटेस्ट इंडियन 2012 सम्मान प्राप्त किया । दलितों के महीसा, भारतीयों के भाग्य विधाता और वास्तव में मानवता की आवाज थे।
डॉ आंबेडकर स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हुए ब्रिटिश भारत की सरकार की कोशिश नाना प्रकार की कमेटियों में शामिल होते थे। और भारतीय लोगों(महिलाओं , गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, किसानों और बहिष्कृत समाजों के लोगों के अधिकारों की वहां पर बात रखी थी। भारत निर्माण और स्वस्थ लोकतंत्र को खड़ा करने में आपकी मुख्य भूमिका रही। तर्कसंगत विधि संगत बातों पर हमेशा जोर दिया। आप हिंदू समाज और धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,अंधविश्वासों और अंध आस्थाओं और अस्पृश्यताओं से तंग आकर 14 अक्टूबर 1956 को आपने नागपुर में 5 लाख से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली । यह एक युगांतरकारी,क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी कदम था। सांस्कृतिक बदलाव हेतु उचित एवं ठोस कदम था। इससे बहिष्कृत भारतीय समाज और जनता की दिशा और दशा तय मानी गई। समाज में स्वतंत्रता प्राप्त करने से जो बदलाव आना चाहिए था वह नहीं आया मगर डॉ अंबेडकर द्वारा उठाए गए कदमों से ठोस कार्यों से जो बदलाव देखने को मिला वह स्वयं में अविस्मरणीय रहा है।
डॉक्टर अंबेडकर ने 1945 में पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की स्थापना करके शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम बढ़ाया था। आपके द्वारा कुछ खास रचनात्मक कार्य (कृतियां) भी किया गया जिसमें "बौद्ध धर्म का सार", "बुद्ध और उनका धर्म" जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं ।आप राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की हमेशा वकालत किया करते थे। डॉ अंबेडकर का प्रभाव भारत में इसी बात से देखा जा सकता है कि आज उनके नाम पर विभिन्न राज्यों में 12 विश्वविद्यालय हैं,आपकी विश्व भर में सर्वाधिक मूर्तियां हैं, आप भारत के महानतम व्यक्ति 2012 में चुने गए। आपके नाम पर डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय विमान क्षेत्र, डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर में है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अमर्त्य सेन ने कहा कि 'डॉक्टर अंबेडकर अर्थशास्त्र विषय में मेरे पिता है। आप विश्व के जाने-माने महानायक थे। आज तक उन्हें जो भी सम्मान मिला है वह उससे कहीं ज्यादा अधिकारी हैं।' ओशो अर्थात रजनीश कहते हैं, 'वह एक विश्व प्रसिद्ध अधिकरण थे।' अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का मानना है मानव अधिकार चैंपियन और भारत के संविधान के मुख्य लेखक हैं ।
रामचंद्र गुहा, "गरीबों का मसीहा कहते हैं।" वास्तव में डॉक्टर अंबेडकर मानवता की आवाज थे जो स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखकर भारत के नवनिर्माण में चार चांद लगाए थे। आधुनिक भारत के निर्माता डॉक्टर अंबेडकर का व्यक्तित्व और कृतित्व न केवल दलित गरीब पीड़ित किसान, महिला, पीड़ित समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। वरन् संपूर्ण वैश्विक मानव जाति के लिए डॉक्टर अंबेडकर का जीवन प्रेरणादाई है। आपके द्वारा जीवन में किए कार्य भारतीय मानव समाज के सर्वांगीण विकास में कारगर सिद्ध हुए हैं।
6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में आपका महापरिनिर्वाण आपके आवास पर हुआ था किंतु आपका अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार मुंबई स्थित चैत्य भूमि में किया गया था। जो आज समस्त अम्बेडकरवादियों के लिए प्रेरित करने वाला स्थान बन गया है। आप आज हमारे बीच नहीं हैं पर आपकी विचारधारा आज भी जिंदा है। आपको दुनिया, "द सिम्बल आफ नालेज" कहती है।
लेखक सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़
">