डॉ बीरबल झा को पंडित मदन मोहन मालवीय पुरस्कार -2024

By: Dilip Kumar
2/14/2024 11:14:27 PM
नई दिल्ली

मधुबनी जिले के सिजौल निवासी एवं देश के जाने माने लेखक डॉ बीरबल झा को वर्ष 2024 का पंडित मदन मोहन मालवीय पुरस्कार से आगामी 14 फरवरी को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सम्मानित किया जाएगा। यह अवार्ड डॉ झा के सोशल ऑंटरप्रनरशिप, सेल्फ़ हेल्प ऑथरशिप, शिक्षण प्रशिक्षण, समाज सेवा व कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए दिया जाएगा। एक ओर जहाँ बिहार के टॉप सोशल ऑन्टरप्रनर के रूप में डॉ झा का नाम अंकित है वहीं दूसरी ओर दुनिया के टॉप -20 सेल्फ हेल्प लेखक के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय सांस्कृतिक आंदोलन खासकर मिथिला पाग अभियान का सफल नेतृत्व कर उन्होंने देश में एक कीर्तिमान स्थापित किया। अंग्रेज़ी शिक्षण -प्रशिक्षण के क्षेत्र में इनका योगदान एक मील का पत्थर है। इनकी इन उपलबधियों के मद्देनज़र पूर्वा सांस्कृतिक मंच की ओर से डॉ झा इस मालवीय अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है।

डॉ. बीरबल झा भारत में गरीबों और दलित समुदायों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बिहार में दलित समाज को अंग्रेजी शिक्षा पहुंचाने और उनमें शैक्षिक कौशल का विकास करने में अहम योगदान रहा है। दलित समाज के एक लाख से अधिक छात्रों को उन्होंने कौशल संपन्न बनाकर कैरियर बनाने में सहयोग किया है। उनके प्रयासों की बदौलत, भारतीय समाज के सबसे गरीब तबके के लोगों में से करीब 50 हजार से अधिक युवाओं को अंग्रेजी संचार कौशल हासिल करके अपना बेहतर कैरियर बनाने में सफल हुए हैं। डॉ. झा के योगदान से आज दलित, वंचित, गरीब समुदाय लाखों छात्र-छात्राओं के जीवन में शिक्षा की रोशनी जीवन बेहतर हुआ है। डॉ. झा के पास अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से समाज के वंचित वर्ग के लाखों लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है।

डॉ. बीरबल झा दुनिया के टॉप 20 सेल्फ हेल्प लेखक हस्तियों में से एक हैं। उन्होंने अपने सांस्कृतिक अभियान 'सेव द पाग' कैंपेन के माध्यम से 4 करोड़ मैथिली भाषी लोगों को जोड़ा है और उनमें अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता लाने का काम किया है। उन्हें मिथिला के 'यंगेस्ट लिविंग लेजेंड' की उपाधि भी मिली हुई है। उन्हें अबतक सैकड़ों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनका नारा है- ' इंग्लिश फॉर आल'। उनके इसी ध्येय की वजह से भारत में अंग्रेजी कौशल प्रशिक्षण में क्रांति लाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है।


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