साहित्यकार पं. गोविंद झा के निधन से साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति: डॉ बीरबल झा

By: Dilip Kumar
10/19/2023 6:55:28 PM
पटना

प्रख्यात साहित्यकार पंडित गोविंद झा के निधन से साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। वह 102 वर्ष के थे। 18 अक्टूबर, 2023 की रात करीब 10.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मिथिला के महान विभूति गोविंद झा सशरीर अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अमूल्य कृतियां युगों-युगों तक साहित्यप्रेमियों को स्मरण कराएंगी।
मैथिली और संस्कृत के विद्वान पंडित गोविंद झा का जन्म 10 अगस्त 1922 को बिहार के मधुबनी जिला के इसहपुर (सरिसब-पाही) नामक एक संभ्रांत और विद्वानों से भरे-पूरे गांव में हुआ था। संस्कृत वांग्मय की श्रीवृद्धि करने इनके परिवार का उल्लेखनीय योगदान रहा है। पंडित गोविंद झा के पिता महा वैयाकरण पंडित दीनबंधु झा स्वयं संस्कृत और मैथिली के पारगामी विद्वान माने जाते थे। उनकी एक सदी से अधिक की जीवन यात्रा ने मिथिला और भारत पर समान रूप से विशेष छाप छोड़ी है। यह लेखक उनके प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।

पंडित गोविंद झा की जीवन यात्रा में 75 वर्षों से अधिक का समय लेखन काल रहा। उन्होंने ने 3 उपन्यास, 3 कथा-संग्रह, 7 नाटक, एक कविता संग्रह, 6 आलोचनात्मक निबंध संग्रह, दो जीवनी-विनिबंध, 13 भाषा-ग्रंथ, 4 कोष-ग्रंथ, 8 संपादित-ग्रंथ, 8 अनुवाद सहित बिब्लियोग्रैफी ऑफ इंडियन लिटरेचर (मैथिली प्रभाग) और इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन लिटरेचर के निर्माण में भी अपना योगदान दिया. इस प्रकार इन्होंने 56 पुस्तकों की रचना कर इतिहास बनाया। पंडित गोविंद झा को साहित्य-रंगमंच के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1993), साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार (1993), कामिल बुल्के पुरस्कार (1988), ग्रियर्सन पुरस्कार (2001), प्रबोध साहित्य सम्मान (2005), चेतना समिति सम्मान (1989), ज्योतिरीश्वर रंग-शीर्ष सम्मान, विश्वंभर साहित्य सम्मान (2019) आदि प्रमुख हैं।

साहित्य लेखन में गोविंद झा ने कथा, कविता, नाटक आदि रचना में समकालीन मिथिला के सामाजिक-सांस्कृतिक शैक्षणिक कुरीतियों-पाखंडों को बड़ी ही निर्ममता के साथ उजागर किया था। वहीं, उपन्यास लेखन में मिथिला के इतिहास-प्रसिद्ध नायकों को स्थान दिया। इतिहास लेखन में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान है. शब्दकोश निर्माण के क्रम में उन्होंने मैथिली सहित हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, नेपाली, अवहट्ट, प्राकृत आदि भाषाओं के लिए भी प्रशंसनीय कार्य किए। गोविंद झा ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की थी। इसके बाद आपने व्याकरणाचार्य, साहित्यरत्न, साहित्याचार्य, वेदाचार्य आदि परीक्षा पास किया। इसी दौरान इन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, प्राकृत, बांग्ला, उर्दू, असमिया नेपाली आदि भाषाओं का भी विधिवत अध्ययन किया।

अध्ययन के साथ-साथ आपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आजीविका भी शुरू की। इसकी शुरूआत आपने 1950 में न्यूज पेपर्स एंड पब्लिकेशन, पटना के साथ शब्दकोश-सहायक के रूप में की। 1951-1978 तक आपने बिहार सरकार के राजभाषा पदाधिकारी के रूप अपनी सेवाएं दीं। 1978-1985 तक बिहार सरकार के मैथिली अकादमी पटना के उपनिदेशक भी रहे ।


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