सत्य प्रकाश का कॉलम: मानवता की आवाज राष्ट्र निर्माता डॉक्टर अंबेडकर

By: Dilip Kumar
5/2/2024 9:30:32 PM

युग पुरुष, मानवतावादी, शिक्षाविद, परम पूज्य डॉक्टर बी आर अंबेडकर का 14 अप्रैल 1891 को महू की सैन्य छावनी वर्तमान में आधिकारिक तौर पर डॉक्टर अंबेडकर नगर मध्य प्रदेश में हुआ था । आप अपने पिता राम जी मालोजी सकपाल तथा माता भीमाबाई सकपाल की 14वीं और अंतिम संतान थे। आपका बचपन का नाम भिवा था। डॉक्टर अंबेडकर का मूल उप नाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर जो कि उनके गांव से संबंधित था । आंबडवेकर गांव रत्नागिरि महाराष्ट्र में आता था। आपका का परिवार कबीरपंथी व मराठी था और आपके परिवारजन महाराष्ट्र के हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे जो कि अछूत थी महारों को सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ रहा था। भीम को सामाजिक भेदभाव और छुआछूत का बचपन से ही सामना करना पड़ा था। डॉ आंबेडकर सामाजिक विषम आर्थिक तंगी अस्पृश्यता जातीय भेदभाव जैसी समाज को कलंकित करने वाली तमाम कुरीतियों का बचपन से ही सामना करना पड़ा था।

डॉ आंबेडकर ने प्रारंभिक शिक्षा सतारा की गवर्नमेंट हाई स्कूल में एडमिशन के साथ किया किंतु सामाजिक और जातीय भेदभाव बचपन से ही घर और स्कूल में था। स्कूल में आपको नाना प्रकार से प्रताड़ित किया जाता था। आपसे पीने का पानी दूर रखा जाता था, बैठने के लिए आपको टाट का टुकडा स्वयं साथ लाना पड़ता था । कक्षा के बाहर पढ़ने के लिए बैठाला जाता था। सामाजिक क्षेत्र में भी आपको तिरस्कार झेलना पड़ा जैसे नाई बाल नहीं कटता था, धोबी कपड़े नहीं धुलता था, सफाई कर्मी सफाई करने नहीं आता था। किंतु डॉक्टर अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने पैर पीछे नहीं हटाए हमेशा विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहे और आपने भारत में नए आयाम स्थापित किया जिनको सुनकर ,पढ़कर और देखकर समस्त भारतवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। डॉक्टर अंबेडकर ने देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी उच्च शिक्षा प्राप्त की जैसे कोलंबिया विश्वविद्यालय तथा लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र विज्ञान में शोध कार्य किया। डॉ आंबेडकर बड़ौदा के रियासत राज्य द्वारा शिक्षित करने के कारण सेवा करने हेतु बाध्य थे। इसलिए आप उच्च शिक्षा प्राप्त करके जब भारत वापस आए तो आपको महाराजा गायकवाड का सैन्य सचिव नियुक्त किया लेकिन जातिगत भेदभाव के कारण कुछ ही समय बाद नौकरी छोड़नी पड़ी इस घटना को अपनी आत्मकथा "वेटिंग फॉर अ वीजा" में उल्लेख किया है।

डॉक्टर अंबेडकर ने बड़ा परिवार का बोझ व आर्थिक तंगी को देखते हुए लेखाकार के रूप में एक निजी शिक्षण के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया किंतु जाति भेदभाव के चलते उस कार्य को छोड़ना पड़ा था। आप 1918 में मुंबई में सिडेनहम कॉलेज आफ कमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने किंतु छात्रों के साथ सफल रहे मगर अन्य प्रोफेसर्स ने आपका जमकर उपहास व विरोध किया। ब्रिटिश भारत सरकार अधिनियम 1919 तैयार कर रही साउथ बरो समिति के समक्ष भारतीय विद्वान के रूप में डॉक्टर अंबेडकर को साक्ष्य देने हेतु बोला गया अपने दलितों ,अन्य पिछड़े और धार्मिक समुदायों हेतु पृथक निर्वाचन और आरक्षण देने की बात की थी। 1925 से 30 के बीच में डॉक्टर अंबेडकर ने सामाजिक जन जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जिनमें महाड सत्याग्रह और कलाराम मंदिर सत्याग्रह प्रमुख थे। आपने इन सत्याग्रहों के समय भाषण देते हुए कहा था कि "छुआछूत गुलामी से बदतर है।" डॉक्टर अंबेडकर प्रमुख लेखन कार्य किए थे जिसमें उत्कृष्ट योगदान रहा था जैसे बहिष्कृत हितकारिणी सभा (जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना सामाजिक और आर्थिक सुधारो को बढ़ावा देना था) बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत ,मूकनायक ,जनता जैसी पत्रिकाएं साप्ताहिक पत्रिकाएं निकली थीं। 1925 में मुंबई प्रेसिडेंसी समिति में सभी यूरोपीय सदस्य वाले साइमन कमीशन में काम करने हेतु आपको नियुक्त किया गया था जिसका भारत में भारतीय विरोध कर रहे थे क्योंकि उसमें कोई भारतीय नहीं था। 25 दिसंबर 1927 को डॉक्टर अंबेडकर ने ऐसे समस्त ग्रंथों को जलाया जो अमानवीय, अव्यावहारिक और गैर बराबरी को बढ़ावा देने वाले थे । ये छुआछूत को भी बढ़ावा देने वाले थे। जातीय भेदभाव और जातिवाद जिनमें चरम पर था।

डॉ आंबेडकर ने अनेक विषयों पर शोध किया जिसमें प्रमुख शोध का विषय "द प्रॉब्लम ऑफ द रूप: इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूश" आपकी थीसिस पर आधारित आरबीआई का 1935 में गठन हुआ था। डॉक्टर अंबेडकर राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत हमेशा करते थे। आपने स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखने का अभूतपूर्व विश्व विख्यात काम किया। आपका मानना था कि , "राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं जब तक कि सामाजिक लोकतंत्र स्थापित नहीं होता है।" डॉ आंबेडकर विश्व विख्यात विद्वान,अर्थशास्त्री ,राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक ,दार्शनिक , शिक्षाविद , में उत्क्रष्ट लेखक दलित उद्धारक , मानवतावादी , वैज्ञानिक ,समाजशास्त्री, इतिहासविद , भारतीय संविधान शिल्पी, भारतीय गणराज्य के जनक थे । डॉ आंबेडकर किसानों , श्रमिकों , मजदूरों अल्पसंख्यकों, महिलाओं और दीन-दुखियों के जननायक थे। आपने इनके मौलिक अधिकारों को देने के लिए हमेशा समर्थक रहे थे । डॉ अंबेडकर ने महापरिनिर्वाण प्राप्त करने के बाद जो सम्मान प्राप्त किये उनमें बौद्धिसत्व 1956 में ,भारत रत्न 1990 में, पहले कोलंबियन अहेड आफ देयर टाइम 2004, द ग्रेटेस्ट इंडियन 2012 सम्मान प्राप्त किया । दलितों के महीसा, भारतीयों के भाग्य विधाता और वास्तव में मानवता की आवाज थे।

डॉ आंबेडकर स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हुए ब्रिटिश भारत की सरकार की कोशिश नाना प्रकार की कमेटियों में शामिल होते थे। और भारतीय लोगों(महिलाओं , गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, किसानों और बहिष्कृत समाजों के लोगों के अधिकारों की वहां पर बात रखी थी। भारत निर्माण और स्वस्थ लोकतंत्र को खड़ा करने में आपकी मुख्य भूमिका रही। तर्कसंगत विधि संगत बातों पर हमेशा जोर दिया। आप हिंदू समाज और धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,अंधविश्वासों और अंध आस्थाओं और अस्पृश्यताओं से तंग आकर 14 अक्टूबर 1956 को आपने नागपुर में 5 लाख से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली । यह एक युगांतरकारी,क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी कदम था। सांस्कृतिक बदलाव हेतु उचित एवं ठोस कदम था। इससे बहिष्कृत भारतीय समाज और जनता की दिशा और दशा तय मानी गई। समाज में स्वतंत्रता प्राप्त करने से जो बदलाव आना चाहिए था वह नहीं आया मगर डॉ अंबेडकर द्वारा उठाए गए कदमों से ठोस कार्यों से जो बदलाव देखने को मिला वह स्वयं में अविस्मरणीय रहा है।
डॉक्टर अंबेडकर ने 1945 में पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी की स्थापना करके शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम बढ़ाया था। आपके द्वारा कुछ खास रचनात्मक कार्य (कृतियां) भी किया गया जिसमें "बौद्ध धर्म का सार", "बुद्ध और उनका धर्म" जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं ।आप राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की हमेशा वकालत किया करते थे। डॉ अंबेडकर का प्रभाव भारत में इसी बात से देखा जा सकता है कि आज उनके नाम पर विभिन्न राज्यों में 12 विश्वविद्यालय हैं,आपकी विश्व भर में सर्वाधिक मूर्तियां हैं, आप भारत के महानतम व्यक्ति 2012 में चुने गए। आपके नाम पर डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय विमान क्षेत्र, डॉक्टर अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर में है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अमर्त्य सेन ने कहा कि 'डॉक्टर अंबेडकर अर्थशास्त्र विषय में मेरे पिता है। आप विश्व के जाने-माने महानायक थे। आज तक उन्हें जो भी सम्मान मिला है वह उससे कहीं ज्यादा अधिकारी हैं।' ओशो अर्थात रजनीश कहते हैं, 'वह एक विश्व प्रसिद्ध अधिकरण थे।' अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का मानना है मानव अधिकार चैंपियन और भारत के संविधान के मुख्य लेखक हैं ।

रामचंद्र गुहा, "गरीबों का मसीहा कहते हैं।" वास्तव में डॉक्टर अंबेडकर मानवता की आवाज थे जो स्वस्थ लोकतंत्र की नींव रखकर भारत के नवनिर्माण में चार चांद लगाए थे। आधुनिक भारत के निर्माता डॉक्टर अंबेडकर का व्यक्तित्व और कृतित्व न केवल दलित गरीब पीड़ित किसान, महिला, पीड़ित समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। वरन् संपूर्ण वैश्विक मानव जाति के लिए डॉक्टर अंबेडकर का जीवन प्रेरणादाई है। आपके द्वारा जीवन में किए कार्य भारतीय मानव समाज के सर्वांगीण विकास में कारगर सिद्ध हुए हैं। 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में आपका महापरिनिर्वाण आपके आवास पर हुआ था किंतु आपका अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार मुंबई स्थित चैत्य भूमि में किया गया था। जो आज समस्त अम्बेडकरवादियों के लिए प्रेरित करने वाला स्थान बन गया है। आप आज हमारे बीच नहीं हैं पर आपकी विचारधारा आज भी जिंदा है। आपको दुनिया, "द सिम्बल आफ नालेज" कहती है।

लेखक : सत्य प्रकाश
प्राचार्य
डॉ बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़


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