बर्लिन में खिताब की दावेदार है कर्नाटक की प्रतिभाशाली टेनिस खिलाड़ी इरम्मा

By: Dilip Kumar
6/18/2023 11:39:15 AM

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 17 से 25 जून तक आयोजित किए जा रहे स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स 2023 के लिए भारत ने 198 एथलीटों और यूनीफाइड पार्टनर्स तथा 57 कोचों का एक दल रवाना किया है, जो 16 खेलों में अपनी दावेदारी पेश करेगा। कर्नाटक की इरम्मा, बर्लिन में स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स 2023 में टेनिस में हिस्सा लेने वाली भारतीय एथलीटों में से एक होंगी। उत्तरी कर्नाटक के बेल्लारी जिले के तारानगर के छोटे से गांव में पली-बढ़ी 22 वर्षीय इरम्मा का खेलों के प्रति बहुत कम एक्पोजर था। उनके माता-पिता किसान हैं। ये इरम्मा के साथ-साथ और दो संतानों की देखरेख करते हैं। इरम्मा जन्म से ही पूरी तरह सुन नहीं सकती थी। और बड़े होने पर बोलने में भी असमर्थ हो गई। इससे उनकी चीजों को समझने की समझ कम हो गई। हालांकि, कम्यूनिकेशन कभी भी समस्या नहीं थी, और वह अपने दो भाइयों के साथ, अपना बहुत सारा समय बाहर बिताती थी। वह धूप में दौड़ती थी और जो भी खेल उसके दिमाग में आता था, खेलती थी।

जब इरम्मा लगभग 14 वर्ष की थी, तो उसे उसके चाचा द्वारा निम्न सामाजिक-आर्थिक क्षमता वाले परिवारों के बच्चों के लिए तोरणागल्लू में स्थापित तमन्ना स्कूल में दाखिला करा दिया गया। इसके बाद उसके चाचा ने भी उसे पालने का फैसला किया। बेल्लारी संयंत्र में एक क्रेन ऑपरेटर होने के कारण इरम्मा के चाचा का घर स्कूल के करीब था और इसमें शामिल सभी लोगों के लिए यह एक व्यवहार्य विकल्प था। बहुत जल्द, इरम्मा ने वहां उपलब्ध अधिकांश स्पोर्ट्स फैसिलिटी का लाभ उठाना शुरू किया और खुद को एक मल्टी टैलेंटेड एथलीट के रूप में स्थापित कर लिया। इस स्कूल में साल 2016 से खेल विभाग के अध्यक्ष के तौर पर काम करने वाले राजेश व्हान्ने ने कहा, “उसने एक धावक के रूप में शुरुआत की और फिर दो साल बाद जब वह 16 साल की थी, उसने टेबल टेनिस खेलना शुरू किया।” राजेश वर्ल्ड गेम्स के लिए बर्लिन जाने वाले स्पेशल ओलंपिक भारत दल के टेनिस कोच हैं।

जब वह टेबल टेनिस खेल रही थी तब उसके सामने यह शर्त रखा गया था कि वह इस खेल में अपनी रुचि का विस्तार करे। उसके सामने चुनौती रखी गई कि वह न केवल अपने हाथ-आंख के समन्वय का उपयोग कर सके, बल्कि अपनी शारीरिक क्षमताओं का भी अधिकतम उपयोग कर सके। उसे टेनिस कोर्ट पर धकेल दिया गया, और लगभग तुरंत ही वह इस खेल में माहिर हो गई। राजेश स्वीकार करते हैं कि पहले कुछ दिन उसके लिए कठिन थे। राजेश ने कहा कि वह नहीं जानती थी कि कैसे सर्विस करनी है, और डबल हैंड बैकहैंड कैसे लगाना है। इसने उसे पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया। लेकिन धीरे-धीरे, राजेश और इरम्मा ने साथ मिलकर काम किया और इस खेल की बारिकयों को सीखा।

वर्ल्ड गेम्स में इरम्मा एकल, महिला युगल और मिश्रित युगल में भाग लेंगी। एसओ भरत का चार सदस्यीय टेनिस दल बहुसांस्कृतिक है। इरम्मा के साथी अनमोल त्रिशूर से हैं। और इस टीम में शामिल अन्य दो लड़के हरियाणा और दिल्ली से हैं। राजेश के पास एथलीटों के साथ बिताने के लिए सीमित समय था, ऐसे में वह नहीं चाहते थे कि इससे खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो। राजेश ने कहा, "वे इस खेल आयोजन से बहुत पहले अपने इलाके के कोचों के साथ ट्रेनिंग और प्रैक्टिस कर रहे थे और मैं देख सकता हूं कि उनमें से प्रत्येक के पास स्किल है। मेरा काम सिर्फ उन्हें अच्छा खेलने का विश्वास दिलाना है।” इरम्मा के लिए, लक्ष्य थोड़े अलग हैं। यह भारत के बाहर उनकी पहली यात्रा है। वह इसे लेकर खासी उत्साहित हैं और देश के लिए पदक जीतना चाहती हैं। और फिर वह नौकरी पाने के लिए अपने अच्छे प्रदर्शन के दम पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं।

एक जीवंत, लगातार मुस्कुराते हुए चेहरे के भीतर एक जुझारू खिलाड़ी छुपा हुआ है। राजेश का कहना है कि टेनिस ने इरम्मा के व्यक्तित्व में एक नया निखार जोड़ा है। बकौल राजेश "वह थोड़ी शर्मीली, हमेशा जिज्ञासु लेकिन कुछ हद तक खुद के प्रति सचेत रहने वाली थी। वह वास्तव में लोगों के साथ जुड़ने की कोशिश भी नहीं करती थी। यह सब शब्दों के साथ बातचीत करने में असमर्थता और सांकेतिक भाषा का उपयोग करने वाले लोगों की कमी के कारण हुआ। लेकिन जैसा कि बार-बार कहा जाता है कि कि खेलों में आने के लिए किसी भाषा की आवश्यकता नहीं होती है, वह इसमें आकर खुलने लगी है।” राजेश ने हंसते हुए कहा, "हम एक दूसरे के साथ पूरी तरह से बातचीत कर सकते हैं। वास्तव में, हम अर्थहीन बकबक भी कर लेते हैं। टेनिस की भाषा सरल और सीधी है। हम इसमें एक दूसरे से स्पष्ट रूप से बात कर सकते हैं।”


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